सेल फोन और बच्चे | Cell phone and children
शुरू में जो मज़ा महसूस होती है वह एक आदत में बदल जाती है।
मोबाइल
मानव के जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। इन दिनों घर में जितने लोग हैं उनसे
अधिक मोबाइल हैंडसेट मिलते हैं। इसका कारण यह है कि यदि कोई मोबाइल क्षतिग्रस्त
है, तो आप उसके बिना तब तक नहीं रह सकते जब तक कि उसकी मरम्मत न हो जाए। बड़े
लोगों द्वारा मोबाइल का अत्याधिक उपयोग लगातार छोटे बच्चों द्वारा देखा जाता
है।
बच्चे
नकल करने वाले होते हैं इसलिए वे मोबाइल के लिए भी आकर्षित होते हैं। शुरु में
आपकी जानकारी के बिना, बच्चे मोबाइल फोन लेते हैं और बड़े लोग कैसे बाते करते हैं?
कैसे इशारे करते हैं? वैसेही बच्चे करते हैं। उन्हें बडे लोग मुस्कुराहट के
साथ देखते हैं, उनकी सराहना करते हैं। यहां तक कि बच्चों को लगता है कि हम
कुछ अच्छा कर रहे हैं, और फिर उन्हें लगता है कि हमारे पास एक मोबाइल होना चाहिए।
आपने
देखा है कि जब वे मोबाइल लेने की कोशिश करते हैं, तो वे रोते हैं, कूदते हैं,
दौड़ते हैं, कुछ जमीन पर भी लुढ़क जाते हैं। कुछ अभिभावकों ने तो तारीफ के तौर पर
उनके वीडियो भी वायरल कर दिए।
बच्चोंकी मोबाइल आदत के लिए कौन जिम्मेदार है?
आजकल कुछ माताएँ अपने बच्चे के हाथों में मोबाइल देती हैं, उनका कहना हैं कि उनके बच्चे मोबाइल बिना खाना नहीं खाते। तब माँ मोबाइलको देखते हुए बच्चोंको खाना खिलाती हैं। बच्चे भी खाना खाते रहते हैं। लेकिन वे खाने पर ध्यान नहीं देते, उनका ध्यान मोबाइल में होता हैं, माँ घास भरती रहती है, बच्चे भी खाते रहते हैं लेकिन उन्हें यह भी पता नहीं है कि उनका पेट भरा है या नही। अच्छा भोजन करने की संतुष्टि माँ के चेहरे पर होती है, लेकिन तब हम सिर्फ उसके पेट दर्द के कारण की तलाश में रहते हैं। खाना खाते समय मोबाइल देखना बच्चोंकी आदत में बदल जाता है।
मोबाइल फोन और बच्चों की सेहत।
मोबाइल फोन का अत्याधिक उपयोग
स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, डॉक्टरों ने समय-समय पर चेतावनी दी है। मोबाइल का
उपयोग बच्चों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। लगातार मोबाइल का उपयोग बच्चों
के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। आँखे लाल होती है, इसलिए समय-समय पर डॉक्टर के
पास जाना पडता है। मोबाइल की तेज रोशनी आंखों के सामने जितनी देर रहती है, उतनी ही
चष्मा लगने की संभावना अधिक होती है।
याददाश्त में कमी, उंगलियों में दर्द, अन्य बच्चों के साथ
घुलना-मिलना नहीं, वे अकेले हो जाते हैं। वे अपनी ही दुनिया में खो जाते है। यह
हमने कई विशेषज्ञों से सुना है। वे व्यायाम नहीं करते क्योंकि वे खेलने के लिए
बाहर नहीं जाते। इसलिए रात मे नींद अच्छी नही आती। इसका उनके स्कूल की गतिविधियों
और अध्ययनों मे भी प्रभाव होता है। वैचारिक स्तर विकसित नहीं होते, क्योंकि वे
अन्य बच्चों के साथ मिलते नहीं। वे मैदान पर खेल का आनंद नहीं ले सकते।
ऐसे बच्चों के जो भी दोस्त होते हैं। सभी मोबाइल गेम्स, मोबाइल पर उन्होने क्या देखा? इसके बारेमें बाते करते रहते हैं। इसलिए, जब माता-पिता घर पर होते हैं, तब बच्चों को पेंटिंग, हस्तशिल्प, संगीत, नृत्य, वाद्ययंत्र, खेल आदि सिखाया जाना चाहिए। बच्चे इसका आनंद लेंगे। यह उनके प्यार को भी बढायगा। एक दूसरे से चैट करेंगे। विचारों की आदान-प्रदान होगी। अपने बच्चों को विश्वास में लिया और उन्हें आश्वस्त किया तो वे तुरंत समझ जाते हैं।
माता-पिता को अपने बच्चोंको मोबाइल फोन से दूर रखने के लिए क्या करना चाहिए?
अगर बच्चे मोबाइल से दूर रहना
चाहते हैं, तो माता-पिता को पहले अपनी आदतों में कुछ बदलाव करने होंगे। बिना किसी
वजह बच्चों के सामने घरपर मोबाइलके साथ मत खेलो। जरूरत न होने पर घर में मोबाइलका
इस्तेमाल ना करे। मोबाइल पर बच्चोंके के सामने घर पर बाते नहीं करनी चाहिए।
अपने काम की वजह से, घर के सभी लोग एक साथ दोपहर का भोजन नहीं
कर सकते, लेकिन रात का खाना एकसाथ क्यो नही करे? उस समय, परिवार में हर कोई
एक-दूसरे से खुलकर बात करेगा। दिनभर के किस्से एक-दूसरे को बताएंगे। घर का माहौल
खुशहाल रहेगा। मोबाइल की परेशानी के बिना भोजन का आनंद कुछ अलग होगा। अगर परिवार
का माहौल खुशहाल रहता है, और बच्चे मोबाइल से दूर रहते हैं, तो घर में मोबाइल एक
तरफ क्यो नही रखना चाहीए?
अगर आप मोबाइल फोन से संबंधित कुछ बदलाव करते हैं, तो यह
निश्चित रूप से नुकसान नहीं होगा। अगर ऐसा होता है, तो यह फायदेमंद होगा। मोबाइल
फोन ने हम सभी के लिए आपसमें बात करना आसान बना दिया है। लेकिन यह ध्यान रखना भी
महत्वपूर्ण है कि यह सुविधा एक लत में नहीं बदल जाती है।
कहा जाता है कि मोबाइल की वजह से दुनिया करीब आइ है, यह सच
है, इसमें कोई बात नहीं है। लेकिन उसी मोबाइल की वजह से हमारे करीबी लोग बहूत दूर
गए है। तो यह आप पर निर्भर है कि आप इसका ध्यान रखें। आपसमें बाते करें।